तेजस्वी यादव: बिहार के हक़ के लिए लड़ाई का अडिग योद्धा

34 साल का एक अकेला युवा तेजस्वी यादव बिहार के हक़ के लिए लड़ रहा है। विरोधियों के 50 हेलीकॉप्टर पर उनका एक अकेला हेलीकॉप्टर भारी पड़ रहा है। तेजस्वी यादव ने अपनी पीड़ा को नजरअंदाज करते हुए, व्हीलचेयर पर बैठकर अपने दम पर 50-50 विरोधियों का मुकाबला किया है। उनके माथे पर शिकन नहीं, चेहरे पर दर्द का भाव नहीं है, क्योंकि वह जानते हैं कि प्रदेश के करोड़ों बेरोजगारों के आगे उनका दर्द कुछ भी नहीं है।

तेजस्वी यादव ने समझा है कि यदि इस समय उन्होंने अपने दर्द की परवाह की तो आने वाले 5 साल तक बिहार का और देश का हर युवा नौजवान, महिला, किसान, व्यापारी, पीड़ित और वंचित दर्द से कराहता रहेगा। इसलिए तेजस्वी बिना रुके, बिना थके, हर दर्द सहते हुए बिहार के हक के लिए लड़ रहे हैं और मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं।

युवा को रोजगार, महिलाओं को महंगाई से निजात और सुरक्षा, किसानों को उनकी फसलों का सही दाम, व्यापारियों को व्यापार में उन्नति, छात्रों का उज्जवल भविष्य, बिहार को विशेष राज्य का दर्जा और बिहार के लिए विशेष राहत पैकेज – यह सब तेजस्वी यादव के साथ ही संभव है। उनकी नेतृत्व क्षमता, जोश, जुनून और जज्बा बिहार को आगे ले जाने के लिए आवश्यक है।

एनडीए के 17 साल के शासन के सामने तेजस्वी का 17 महीने का रिकॉर्ड इस बात का गवाह है कि बिहार को नंबर वन बनाने का सपना अगर कोई पूरा कर सकता है तो वह तेजस्वी यादव हैं। उनका संघर्ष, उनका संकल्प और उनकी सेवा भावना ही बिहार को एक उज्जवल और सशक्त भविष्य की ओर ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

तेजस्वी यादव ने साबित कर दिया है कि वह न केवल एक कुशल नेता हैं, बल्कि एक अडिग योद्धा भी हैं जो बिहार के हक के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं। उनकी लड़ाई, उनका साहस और उनका संघर्ष हर बिहारवासी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अगर बिहार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाना है, तो तेजस्वी यादव का साथ और समर्थन आवश्यक है।

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