Bihar Lok Sabha 4th Phase Chunav 2024: बिहार में चौथे चरण के चुनाव में मोदी की गारंटी के साथ-साथ आरजेडी की ‘माई-बाप’ की भी अग्निपरीक्षा होगी। इतना ही नहीं, आमित शाह की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। आइये जानते हैं कि पाने और खोने की सियासत।
बेगूसराय:चौथे चरण के चुनाव में भाजपा के दिग्गजों को अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के साथ-साथ वोट प्रतिशत बढ़ाने की चुनौती का सामना करना होगा। इसके साथ ही, लालू यादव द्वारा नेतृत्व किए जा रहे इंडिया गठबंधन को भी उन्हें ध्यान में रखना होगा। लालू यादव के पास विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में एक सजीव समर्थका का समर्थन है, जिससे उन्हें उत्तरदायित्व और भारी मतों का समर्थन मिल सकता है। इसलिए, उनकी गणतंत्र में चुनावी योजना को सावधानीपूर्वक विकसित करना होगा ताकि उन्हें जीत के लिए बेहतर अवसर मिल सके।
हिंदुत्व की आंच में बेगूसराय
बेगूसराय लोकसभा सीट वास्तव में बिहार में एक हॉट सीट है, जो गिरिराज सिंह के बयानों के कारण अधिक माना जाता है। उनके तर्क हिंदूत्व और राष्ट्रवाद को बल देते हैं, जो इस क्षेत्र में भारी चर्चा का कारण बनते हैं। उनके बयानों के बावजूद, उन्हें विपक्षियों के हमलों का जवाब देने के लिए भाजपा के एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा जाता है। इसलिए, बेगूसराय लोकसभा सीट को “हिंदुत्व का गढ़” या “बिहार का लेनिनग्राद” कहा जाता है, जहां हिंदुत्व के मुद्दे चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के फायरब्रांड नेता ने 4 लाख से भी ज्यादा मतों के अंतर से जीता। गिरिराज सिंह को जहां 692193 मत मिला, वहीं सीपीआई के कन्हैया कुमार को 269976 मत मिला। और यह मत वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार भोला सिंह के पाए गए मतों से गिरिराज सिंह को 26.72 प्रतिशत ज्यादा था। 2019 के चुनाव से वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से अलग इसलिए भी है कि वर्ष 2019 में रालोसपा और हम, राजद के साथ थे। अब रालोसपा वर्तमान में आरएलएम और हम, भाजपा के साथ आए हैं। मांझी, मुसहर और कुशवाहा का भी वोट मिलेगा।
सीपीआई उम्मीदवार पर लालू का भरोसा
लालू यादव के द्वारा चुनावी रणनीति के तहत बेगूसराय लोकसभा सीट पर सीपीआई के उम्मीदवार अवधेश राय को उतारना एक रूपांतरण की ओर इशारा करता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वे चुनावी जीत प्राप्त करने के लिए नई रणनीतियों को अपना रहे हैं। बेगूसराय लोकसभा सीट के बारे में आपके बताये गए विवरण सही हैं, और यहां पर भूमिहार जाति का प्रमुख भूमिका निभाता है। यह रणनीति नई है और इसमें कई चुनौतियाँ हो सकती हैं, लेकिन यह एक साहसिक प्रयास है जो राजनीतिक मानसिकता में बदलाव का संकेत देता है।
उजियारपुर लोकसभा
उजियारपुर लोकसभा चुनाव गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के लिए चुनौती भरा तो है ही, साथ ही यह गृह मंत्री अमित शाह के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। एक जनसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने यह कहा कि नित्यानंद राय मेरे मित्र हैं और इन्हें बहुत आगे ले जाना है। हालांकि उजियारपुर में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर ही होते जा रहा है। 2014 की लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नित्यानंद राय को दिए गए वोट के कुल मतों का 36.95 प्रतिशत मिला था। तब इनका मुकाबला राजद के आलोक मेहता से हुआ था। 2019 लोकसभा चुनाव की बात करें तो नित्यानंद राय के वोट में लगभग 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ। नित्यानंद राय को तब 543906 मत मिले थे। यह कुल मतदान का 56.11 प्रतिशत था।
2024 का रण
इस बार भाजपा के नित्यानंद राय का मुकाबला अपने पुराने प्रतिद्वंदी आलोक मेहता से है। आलोक मेहता के साथ पिछले चुनाव से सकारत्मक पहलू यह है कि इस बार इनके गठबंधन में वाम दल का सहयोग है। भाजपा के उम्मीदवार नित्यानंद राय का प्लस पॉइंट यह है कि पिछले चुनाव में इनकी टक्कर रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा से थी। तब उपेंद्र कुशवाहा को 266628 मत मिले थे। इस बार उपेंद्र कुशवाहा भाजपा नीत गंठबंधन में शामिल है। नित्यानंद राय को उपेंद्र कुशवाहा का वोट इस बार एड होना है।
दरभंगा लोकसभा
दरभंगा लोकसभा से भाजपा को इस बार लगातार जीत का हैट्रिक बनाने की चुनौती है। 2019 के चुनाव में भाजपा ने उम्मीदवार बदल कर चुनाव लड़ा था। पिछले चुनाव में गोपाल जी ठाकुर को चुनावी जंग में उतारा था। भाजपा के लिए यह निर्णय काफी सुखद रहा। फायदा यह हुआ कि 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के वोटों में 22.61 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। 2014 में भाजपा प्रत्याशी कीर्ति आजाद को 37.98 प्रतिशत वोट आए थे। वहीं 2019 में गोपाल जी ठाकुर को 60.79 प्रतिशत वोट मिले।
2024 का रण
यह चुनाव वाकई रोचक और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो सकता है। यहां पर राजद ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है, जिसमें वह मुस्लिम उम्मीदवारों के प्रति अपनी नीति को समीक्षा कर रहा है। भाजपा भी अपनी बूथ स्तर की ताकत के आधार पर अपनी सीट के लिए आत्मविश्वासी है। दरभंगा लोकसभा क्षेत्र में चुनाव मोदी की गारंटी और हिंदू धर्म के प्रति उत्साह के आधार पर निर्णायक हो सकता है। लालू यादव के “M-Y और BAAP” समीकरण की सफलता का महत्वपूर्ण होने की संभावना है, लेकिन चुनावी परिणाम के बाद ही यह पूरी तरह से स्पष्ट होगा।