कम समय में होगा बम्पर उत्पादन: किसानो को कर्जे से मुक्त करा देगी सफ़ेद जड़ो की खेती!

शलजम की खेती :- शलजम एक शीत ऋतु की सब्जी है, जो भारत में विभिन्न क्षेत्रों में उगाई जाती है। खाने में सलाद के रूप में उपयोग में ली जाती है.इसे सब्जी के रूप में भी खाया जाता है। शलजम विटामिन, खनिज और फाइबर का अच्छा स्रोत है। तो आइये जानते है शलजम की खेती के बारे में।

शलजम की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी 

शलजम की खेती के लिए ल्की रेतीली से लेकर भारी चिकनी मिट्टी और अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।

शलजम की उन्नत किस्मे

शलजम की उन्नत किस्मे पूसा अर्ली व्हाइट,पूसा गोल्डन,नंद कुमार,प्रताप सिंह,रानी है. जोकि बढ़िया उत्पादन के लिए जानी जाती है.

शलजम की बुआई

शलजम की बुआई का अच्छा समय अगस्त से सितंबर महीने में माना जाता है। शलजम के बीजों को 1.5 से 2 सेमी गहराई और 10 से 15 सेमी की दूरी पर बोया जाता है। अच्छी पैदावार के लिए हर हेक्टेयर के लिए 15 से 20 टन गोबर की खाद डाली जाती है।

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शलजम की खेती का नियंत्रण और सिंचाई

शलजम को सही देखभाल और प्रबंधन की आवश्यकता होती है। सिंचाई का नियमित रूप से ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है, खासकर अंकुरण और फूल आने के समय। इससे पौधों को उनकी आवश्यकता के अनुसार पानी प्राप्त होता है और उनकी प्राकृतिक विकास पर प्रभाव होता है।

खरपतवारों को नष्ट करने के लिए गुणक युक्त उर्वरकों की उपयोगिता की जा सकती है। साथ ही, कीटों और रोगों के खिलाफ उचित उपायों का अनुप्रयोग करना आवश्यक है। इसमें प्राकृतिक रूप से प्राप्त होने वाले नुस्खे भी शामिल हो सकते हैं। उचित पौधरोपण, समय-समय पर कीटनाशक और रोगनाशक का उपयोग, और संरक्षण के लिए पौधों को प्रतिरक्षा करना, शलजम के प्रमुख दुश्मनों से बचाव करने में मदद कर सकता है।

शलजम का उत्पादन

शलजम की पकाई हुई अवधि 40 से 50 दिनों के बीच होती है, जो आपके स्थान की जलवायु और उपज के आधार पर भिन्न हो सकती है। इसके बाद, आप फसल को निकाल सकते हैं और उसे बाजार में बेच सकते हैं।

शलजम की बाजार में अच्छी डिमांड होती है, जिससे आप अच्छा लाभ कमा सकते हैं। इसका प्राकृतिक रूप से उत्पादन और उचित प्रबंधन विकसित करने से, आप शलजम की उचित देखभाल के माध्यम से उन्नत उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

 

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