जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए, लेकिन इससे गरीबी खत्म नहीं होगी। विशेष राज्य का दर्जा मिलने से हमारे बच्चों की शिक्षा में सुधार नहीं होगा।
जब तक बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारा नहीं जाएगा और पूंजी का निवेश नहीं किया जाएगा, तब विशेष राज्य का दर्जा देने मात्र से क्या हो जाएगा? पहले तो हमें यह समझने की जरूरत है कि विशेष राज्य का दर्जा मिल जाने से होता क्या है?
अभी केंद्र सरकार की योजना जो चलती है, उसमें 60 प्रतिशत केंद्र दे रहा है और 40 प्रतिशत राज्य दे रहा है। विशेष राज्य का दर्जा जब बिहार को मिल जाएगा, तब बिहार को 10 प्रतिशत देना पड़ेगा और 90 प्रतिशत केंद्र की सरकार देगी।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार को पहले से ही पिछड़े राज्य के तहत धनराशि मिल रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि बिहार को 90 प्रतिशत धन भी मिलने लगे, तो क्या कोई बड़ा परिवर्तन हो जाएगा? उन्होंने मनरेगा और आवास योजना का उदाहरण देते हुए बताया कि मनरेगा के पैसे दिल्ली से नहीं आए हैं और आवास योजना में भी 60 प्रतिशत बिहार सरकार का योगदान है जबकि 40 प्रतिशत धनराशि केंद्र सरकार से आती है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि प्रधानमंत्री योजना के तहत मिलने वाला धन बिहार के किसानों को सबसे कम मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार सरकार को जो लाभ मिल रहा है, उसका सही तरीके से उपयोग नहीं हो रहा है। बिहार की जनता को बेवकूफ बनाने के लिए यह कहा जा रहा है कि राज्य को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए।
अगर विशेष राज्य का दर्जा बिहार को मिलना भी चाहिए था, तो 5 साल में सरकार की नींद क्यों खुलती है? मुझे एक खबर दिखा दीजिए जिसमें नीतीश कुमार पूरे कैबिनेट के साथ दिल्ली गए हों प्रधानमंत्री से मिलने विशेष राज्य के दर्जे की मांग के लिए।