Satyajit Ray Movie Pather Panchali: ‘पंथेर पांचाली’ सत्यजीत के निर्दैशन में बनी उनकी पहली फिल्म है। जिसने कई राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरुरस्कार जीते है। इस फिल्म की कहानी में एक अलग तरह का जादू है। जो आजादी के बाद देश में छायी गरीबी का कटु सत्य को दिखाती है।
इन पांच बिन्दुओं से समझें क्यों देखी जानी चाहिए ‘पंथेर पांचाली’
1. सजीवता का असली चित्रण- सत्यजीत रे ने अपने एक इंटरव्यूह में बताया था कि फिल्म बनाते वक्त ये ध्यान रखना चाहिए कि जिस भी दृश्य को हम दिखा रहे है। वो पूर्ण रूप से वास्तविक लगे। उसमें बनावटीपन का जरा भी मेल नहीं होना चाहिए। जो उनकी फिल्मों में दिखाई देता है।
2. बेहतरीन अदाकरी- किसी भी रचना की सफलता की पहली शर्त ही। उसके पाठकों का उसमें खो जाना है। एक पल के लिए उसकी दुनिया में च ले सा जाना है। जब हम उनकी फिल्म पंथेर पंचाली को देखते है तो पाते है इस फिल्म का हर एक किरदार अपने आप में मंझा हुआ है। जहां अपू का किरदार हमें एक लापरवाह से जिम्मेदार लड़के की कहानी को बताता है। वहीं दुर्गा की चंचलता हमें एक परिपक्वता की ओर जाती लड़की की कहानी दिखाती है। जो परिस्थितियों से समझौता कर लेती है।
3. दृश्य का अनोखा जोड़- जहां शब्द अपना प्रभाव नहीं दिखा पाते है। वहां फिल्म का दृश्य अपने जरिए पाठकों को बहुत कुछ कह देता है। ‘पाथेर पंचाली’ में भी कुछ भावुक करते हुए दृश्य है। जो हमें बिना शब्द बहुत कुछ समझा देते है। फिर चाहे वो दुर्गा के पिता को मिली अपनी बेटी की मौत की खबर। अपू का बहन की मौत के बाद गंभीर हो जाना। जो अब तक शरारत के अलावा और कुछ नहीं जानता था।
4. फिल्म की दमदार कहानी- इस फिल्म में मुख्य तौर पर बंगाल के निश्चिन्दिपुर गांव में रहने वाले भाई बहन की कहानी पर केन्द्रित है। जो संसाधनों के अभाव में अपना जीवन जीते है।किन्तु इस बीच वो अपनी शैतानियां करना नहीं भूलते है।
5. फिल्म ने दिलाई भारत को पहचान- बता दें कि इस फिल्म को टाईम मैगजीन की 100 सालों की बेहतरीन मूवी में जगह मिली है। जिसमें टाईम ने 1910 से 2010 के बीच बनी फिल्म को कवर किया है। जिसे रे ने 26 अगस्त 1955 को रिलीज किया था।