अमरुद की खेती: अगर आप फलो की बागवानी में अपना शौक रखते है. या खाली पड़ी जमींन में खेती करना चाहते है. तो अमरुद की खेती एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो कम खर्च में अधिक मुनाफा दिला सकता है। अमरुद का फल विटामिन सी, ए और पोटेशियम का अच्छा स्रोत है और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं। इसके अलावा, अमरुद के पेड़ आमतौर पर पाचन क्रिया को बढ़ावा देते हैं।
अमरुद की खेती करने के लिए आपको पहले अमरुद के पौधों को अच्छी गुणवत्ता के बीजों से उगाना चाहिए। अमरुद के पौधे साल में कई बार फल देते हैं, इसलिए यह एक लाभकारी पारंपरिक खेती हो सकती है। अमरुद के पौधों के लिए अच्छी जलवायु और फसल के लिए पर्याप्त जल सप्लाई का ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है।
अमरुद की खेती करते समय नियमित रूप से पौधों की देखभाल, खाद्य सप्लाई, सिंचाई, और रोगों एवं कीटों का नियंत्रण करना महत्वपूर्ण होता है।
अगर आपके पास खाली जमीन है और फलों की खेती में रुचि है, तो अमरुद की खेती आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो स्वास्थ्यकर फल प्रदान करके आपको आर्थिक रूप से भी लाभान्वित कर सकता है।
अमरुद की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी
अमरुद की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जलवायु बेहतर होती है, क्योंकि ये जलवायु अमरुद के पौधों के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं। अमरुद को प्रमुखतः पीएच 5.5 से 7.5 के बीच की बलुई दोमट मिट्टी में उगाना ज्यादा उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि ये मिट्टी अमरुद के पौधों के लिए आवश्यक न्यूनतम पोषक तत्वों को प्रदान करती है। इसके अलावा, अमरुद की खेती के लिए अच्छी जल निकासी और सिंचाई की उपयुक्त व्यवस्था भी महत्वपूर्ण है।
अमरुद की उन्नत किस्मे
अमरुद के किस्मो की अगर हम बात करे तो इसमें आपको सफेद अमरूद,सर्दार अमरूद, तैयब अमरुद,अहबहाद अमरुद जैसी उन्नत किस्मे देखने को मिल जाती है. इनका स्वाद भी भिन्न-भिन्न होता है.
अमरुद की बुआई
अमरुद के पौधे लगाने के लिए रोपण बीज या कलम पढ़ती अपनाई जा सकती है. बीज रोपन विधि से 4-5 साल में और कलम से रोपण करने पर 2-3 साल में पौधा फल देने लगता है.
अमरुद की खेती की सिंचाई,नियंत्रण और उत्पादन
अमरूद की खेती के लिए गर्मियों में 3-4 दिन और सर्दियों में 7-10 दिन के अंतराल पर नियमित सिंचाई करनी चाहिए. गाय के गोबर, नीम की खली और यूरिया का उर्वरक मिश्रण मिट्टी की उर्वरता के लिए फायदेमंद है। पेड़ों की छंटाई नियमित रूप से की जानी चाहिए और कीट एवं रोग नियंत्रण के लिए समय पर उपाय किये जाने चाहिए। औसतन, अमरूद की पैदावार लगभग 10-15 टन प्रति हेक्टेयर होती है।
और अमरुद की फलो के बाजार में अच्छी मांग है. जिसे बेचकर तगड़ा मुनाफा कमा सकते है.