कई कारणों से मक्का की खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित हो रही है। सफेद और लाल मक्का की किस्मों के अलावा, सफेद मक्का और शकरकंद की खेती के प्रति किसानों का रुझान लगातार बढ़ रहा है। अब जयद सीजन में बुवाई के लिए किसानों द्वारा काली मक्का की खेती को पसंद किया जा रहा है। देश के महानगरों में काले मक्के के सिल को 200 रुपये प्रति पीस के हिसाब से बेचा जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ऐसी खबरें आने के बाद किसान काली मक्का की खेती के बारे में जानना चाहते हैं। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस पोस्ट से विस्तार से जानते हैं कि काली मक्का की खेती कैसे करें, काली मक्का की खेती से कितना मुनाफा होगा आदि के बारे में।
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काली मक्का की खेती ऐसे बढ़ाएगी आपकी आमदनी
इन दिनों देश के बाजारों में सफेद और लाल मक्का की औसत कीमत 2050 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि अधिकतम मूल्य 2700 रुपये प्रति क्विंटल है। यदि कोई किसान रबी की फसल कटने के बाद जयद सीजन में काली मक्का की फसल लगाता है, तो उसे 90 से 95 दिनों में ही पैदावार मिल जाती है। मक्के की यह किस्म कुपोषण से लड़ने में कारगर है। इसमें आयरन, कॉपर और जिंक काफी मात्रा में पाए जाते हैं। यह मक्का की पहली किस्म है जो पोषक तत्वों से भरपूर और जैव-संवर्धित है। मक्के की यह किस्म बाजार में महंगे दाम पर उपलब्ध होती है। 200 रुपये में एक मक्का ऑनलाइन बिक रहा है। इसकी कीमत हमेशा सामान्य मक्के से ज्यादा होती है क्योंकि बहुत कम किसान ही इस किस्म की खेती करते हैं।
काली मक्का की खेती: खेत में कौन सी किस्म लगाएं
ब्लैक मक्का की खेती में बीज की कौन सी किस्म बोनी चाहिए? इसके बारे में हर किसान को पता होना चाहिए। देश में पहली बार छिंदवाड़ा के कृषि अनुसंधान केंद्र ने काली मक्का की खेती पर शोध किया और मक्के की एक नई किस्म जवाहर मक्का 1014 विकसित की. कृषि वैज्ञानिक अब इसी किस्म को लगाने की सलाह देते हैं। मक्के की यह किस्म अपने पोषक तत्वों के कारण कुपोषण से लड़ने में कारगर साबित होगी। यह उपयोग कई स्वस्थ उत्पादों में किया जा सकेगा।
जवाहर मक्का 1014 से आपको कितनी पैदावार मिलेगी?
कृषि वैज्ञानिकों ने मध्य प्रदेश के लिए मक्के की इस किस्म की सिफारिश की है। एक एकड़ भूमि में 8 किलो बीज से किसान को 26 क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है। मक्के की यह किस्म 90 से 95 दिनों में तैयार हो जाती है। इसका रेशम 50 दिनों में आता है। काली मक्के की फसल को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए गर्म मौसम की जरूरत होती है। जब पौधे पर मक्का बनना शुरू हो जाता है, तो अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसकी खेती कतारों में की जाती है और कतार में पौधे से पौधे की दूरी 60 से 75 सेमी होनी चाहिए। मक्के की यह किस्म तनाछेदक रोग सहनशील है। यह किस्म वर्षा आधारित पठारी क्षेत्र के लिए अधिक उपयुक्त है।
काला मक्का अपने लाजवाब स्वाद और उच्च पोषण मूल्यों के कारण इन दिनों तेजी से लोकप्रिय हो रहा है. जहां पीले और सफेद मक्के आम हैं, वहीं काला मक्का अपने खास रंग, स्वाद और पोषण से अलग खड़ा है. आइए जानें इसके बारे में विस्तार से:
काली मक्का की विशेषताएं:
रंग: जैसा कि नाम से स्पष्ट है, काले मक्के के दाने गहरे काले रंग के होते हैं, जो इसे बाकी मक्के की किस्मों से अलग पहचान दिलाते हैं.
पौधा: काली मक्के के पौधे 2.5 से 3 मीटर तक ऊंचे हो सकते हैं और इनके पत्तों का रंग हल्का बैंगनी होता है.
भुट्टा: काली मक्के का भुट्टा 20 से 25 सेंटीमीटर लंबा होता है, और इनमें दानों की संख्या आम मक्के की तुलना में थोड़ी कम हो सकती है.
स्वाद: काला मक्का मीठा होता है साथ ही इसमें हल्का कड़वापन भी पाया जाता है, जो इसे एक खास स्वाद प्रदान करता है.
पोषण: काला मक्का पोषण का खजाना है. इसमें एंथोसायनिन, एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर, आयरन, जिंक और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं.
काली मक्का की खेती:
काली मक्के की खेती अन्य मक्के की किस्मों के समान ही की जा सकती है. यह गर्म जलवायु में अच्छी तरह से उगता है और इसकी बुवाई जून से जुलाई महीने में की जा सकती है.
काली मक्का के फायदे:
स्वास्थ्य लाभ: काला मक्का एंथोसायनिन से भरपूर होता है, जो एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट है. यह एंटीऑक्सीडेंट हृदय स्वास्थ्य, मस्तिष्क स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और कैंसर से बचाने में मदद करता है.
अधिक मुनाफा: काली मक्के की कीमत आम मक्के से ज्यादा होती है, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा कमाने का अवसर मिलता है.
बढ़ती मांग: स्वास्थ्य के प्रति सजग लोगों में काली मक्के की मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे किसानों को बेहतर बाजार मिल सकता है.
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किसानों के लिए नया अवसर:
काला मक्का किसानों के लिए एक नया और लाभदायक अवसर है. इसकी बढ़ती मांग और उच्च पोषण मूल्य इसे एक आकर्षक फसल बनाते हैं. यदि आप अपनी आमदनी बढ़ाना चाहते हैं और एक स्वस्थ एवं पौष्टिक फसल उगाना चाहते हैं, तो काली मक्का आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है.