सुरन एक ऐसी सब्जी है जो कई मायनों में बहुत खास है। इसकी अनोखी दिखावट के साथ-साथ खाने में भी इसकी स्वादिष्टता और सेहत के लिए कई गुणों से भरपूर होती है। इसे बुंदेलखंड की जलवायु में उगाना आसान होता है और यह बुंदेलखंड के किसानों के लिए एक अच्छा आय का स्रोत भी बन सकता है। इसके फायदों के बारे में जानने के लिए, मिडिया ने कृषि विशेषज्ञ डॉ. संतोष पांडेय से बात की।
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सुरन की खेती के फायदे
डॉ. Santosh Pandey ने बताया कि सुरन को साल भर बाजार में बेचा जा सकता है, खासकर त्योहारों के दौरान इसकी मांग और बढ़ जाती है। इसमें विटामिन सी, विटामिन बी6, विटामिन बी1, फोलिक एसिड और फाइबर पाए जाते हैं। इसके साथ ही कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन और फास्फोरस भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं। इससे शरीर को कई फायदे मिलते हैं।
सुरन की खेती से अच्छी कमाई
डॉ. Pandey ने बताया कि एक एकड़ में सुरन की पैदावार 200 क्विंटल तक हो सकती है। सुरन की बिक्री में प्रति क्विंटल बाजार में 4 से 5 हजार रुपये मिलते हैं। यदि किसान ₹3.5 हजार प्रति क्विंटल की दर से भी बेचते हैं, तो उन्हें एक एकड़ से ₹7 लाख तक की कमाई हो सकती है। सुरन की अच्छी किस्मों में से कुछ नाम हैं: सुरन 3, गजेन्द्र, एन 15, राजेन्द्र ओल, और ऑरेंज गची।
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सुरन की खेती कैसे करें
डॉ. Pandey ने बताया कि सुरन की खेती के लिए खेत से नमी निकालकर खेत की जुताई करनी चाहिए। खेत में दो फीट का अंतर रखते हुए 30 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा खोदना चाहिए। इन गड्ढों में बीज डालें। एक एकड़ में 4 हजार सुरन के बीज लगाए जा सकते हैं। बुवाई के 90 दिन बाद सिंचाई करनी होगी। यह फसल सिर्फ तीन सिंचाई में तैयार हो जाती है।