54 साल की उम्र में, जब ज़्यादातर लोग रिटायरमेंट की योजना बना रहे होते हैं, तब आभा शर्मा अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ा रही थीं। आभा शर्मा ने अमेजन प्राइम की लोकप्रिय वेब सीरीज “पंचायत-3” में अम्मा जी का किरदार निभाकर यह साबित किया कि उम्र और कठिनाइयाँ कभी भी आपके सपनों की राह में बाधा नहीं बन सकतीं।
कठिनाइयों से भरा जीवन
आभा की कहानी संघर्ष और प्रेरणा का संगम है। 35 साल की उम्र में मसूड़ों के संक्रमण के कारण उनके सारे दांत टूट गए थे। इसके बाद 45 की उम्र में उनके हाथ-पैरों में कंपन शुरू हो गया। लेकिन इन कठिनाइयों ने आभा की हिम्मत और आत्मविश्वास को कभी कमजोर नहीं होने दिया।
परिवार और समाज की चुनौतियाँ
आभा बचपन से ही अभिनेत्री बनने का सपना देखती थीं, लेकिन उनकी माँ को फिल्म इंडस्ट्री पसंद नहीं थी। इसलिए आभा ने अपनी माँ की इच्छा का सम्मान करते हुए इस सपने को तब तक दबाए रखा जब तक उनकी माँ जीवित रहीं। माँ की मृत्यु के बाद, आभा ने अपने सपने को फिर से जीना शुरू किया और अपने भाई-बहनों का समर्थन भी पाया।
कला और अध्यापन की दुनिया
आभा ने जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से डिप्लोमा हासिल किया और 1979 में अध्यापिका बन गईं। पिता की मृत्यु के बाद बीमार माँ की देखभाल करने की जिम्मेदारी आभा पर आ गई, जिससे उन्होंने कभी शादी नहीं की। अध्यापन के साथ-साथ, आभा ने अपनी कला की दुनिया में भी कदम बढ़ाया और 1991 में अपनी नौकरी छोड़कर थिएटर की दुनिया में प्रवेश किया।
अभिनय का सफर
2008 में, आभा ने लखनऊ में थिएटर करना शुरू किया और 2009 में बैंक ऑफ बड़ौदा के एक विज्ञापन के लिए ऑडीशन दिया। यह उनका पहला ऑडीशन था और उसमें सफल होने के बाद उन्हें मुंबई में ऐड शूट करने का मौका मिला। इसके बाद उन्हें कई फिल्मों के ऑफर मिले, जिनमें “इशकज़ादे” भी शामिल थी।
पंचायत-3 और सफलता की कहानी
थिएटर में आभा के साथी अनुराग शुक्ला शिवा ने कोविड के बाद उन्हें “पंचायत” के लिए ऑडीशन टेप रिकॉर्ड करने के लिए राजी किया। इसी टेप ने आभा को “पंचायत” में अम्मा जी का रोल दिलाया। आभा कहती हैं कि उस समय वह वेब सीरीज का मतलब नहीं जानती थीं, लेकिन सेट पर पहुँचने के बाद वह बहुत उत्साहित हो गईं।
प्रेरणा की मिसाल
आभा शर्मा की कहानी हमें सिखाती है कि अगर आप अपने जुनून को लेकर समर्पित हैं, तो कोई भी बाधा आपके रास्ते में नहीं आ सकती। वह कहती हैं, “अगर आप किसी चीज को लेकर जुनून रखते हैं, तो कोशिश और उम्मीद न छोड़े।”
आभा शर्मा ने यह साबित कर दिखाया कि जीवन की दूसरी पारी भी उतनी ही महत्वपूर्ण और रोमांचक हो सकती है, बशर्ते आपके पास अपने सपनों को पूरा करने का जुनून और हिम्मत हो। उनकी कहानी सभी उम्र के लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहते हैं।