आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्हें मानव जाति के प्रति उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। महर्षि वेदव्यास ने चारों वेदों का ज्ञान प्रदान किया था, इसलिए उन्हें प्रथम गुरु की उपाधि प्राप्त है।
गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इसके अलावा, इस दिन लोग अपने-अपने मान्य गुरुओं की पूजा करके उनके प्रति आभार और श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा – श्री हरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजन विधि
महर्षि वेदव्यास एवं चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व
गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास जी की पूजा-अर्चना करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। इस दिन अपने गुरुओं का ध्यान और उनकी पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन को आनंदमय बना देती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरु की कृपा से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है।
पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा का भी महत्वपूर्ण महत्व है। चंद्रमा के उगने के बाद उसकी पूजा करना चाहिए, और चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है। इस दिन जरूरतमंद लोगों की सहायता करना भी शुभ माना जाता है।
अगर आपके घर के पास गाय है, तो उसे भोजन अवश्य कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
गुरु पूर्णिमा 2024 की तारीख एवं शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा स्नान का मुहूर्त – प्रातः 05:30 बजे से 07:00 बजे तक।
- गुरु पूर्णिमा श्री हरि विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा का मुहूर्त – प्रातः 05:30 बजे से 07:00 बजे तक।
- गुरु पूर्णिमा महर्षि वेदव्यास की पूजा का मुहूर्त – 11:16 बजे से 01:06 बजे तक (दोपहर)।
- गुरु पूर्णिमा को गुरु पूजन का मुहूर्त – 11:16 बजे से 01:06 बजे तक (दोपहर)।