ओलंपिक चैम्पियन नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर स्वर्ण पदक जीता लेकिन उस तरह से नहीं जैसा वह चाहते थे और उन्हें इसे स्वीकार करने में कोई झिझक भी नहीं थी। तीन साल में पहली बार भारत में प्रतिस्पर्धा करते हुए विश्व चैम्पियन भाला फेंक एथलीट ने बुधवार को फेडरेशन कप में 82.27 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता।
नीरज चोपड़ा की इस बात से स्पष्ट होता है कि उन्हें उनके प्रदर्शन पर संतुष्टि नहीं हुई और उन्हें अपने स्तर की वैसी उम्मीद नहीं थी जैसा कि वे चाहते थे। यह उनके प्रतिस्पर्धी स्वाभाव का प्रतिबिम्ब है और दर्शाता है कि वे हमेशा से अपने खेल को सुधारने के लिए तैयार हैं। यह उनके जीवन में एक नया मंच है जहां वे अपनी क्षमताओं को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहेंगे। उनके इस निरंतर प्रयास और उनके उत्साह ने उन्हें दुनिया भर में एक उत्कृष्ट खिलाड़ी के रूप में पहचान बनाने में मदद की है।
उन्होंने आगे कहा, “प्रतियोगिता काफी अच्छी थी और मौसम भी गर्म था। शुरू से ही मैं सोच रहा था कि अगर मुझे अच्छा लगेगा तो मैं उसी के अनुसार प्रयास करूंगा। मैं दोहा में खेलने के बाद यहां आया था और उबरने के लिए ज्यादा समय नहीं था और यात्रा भी करनी थी। और मैं इतना अच्छा भी महसूस नहीं हो रहा था।”
चोपड़ा ने कहा, “मैंने इसके अनुसार ही अपने प्रयास किये और केवल चार थ्रो ही किये क्योंकि मुझे चेक गणराज्य के ओस्ट्रावा में गोल्डन स्पाइक प्रतियोगिता में 28 मई को प्रतिस्पर्धा करनी है। इसके लिए उबरने के लिए लगभग 10 दिन होंगे। लंबे समय के बाद इस तरह के मौसम में आया हूं। प्रतियोगिता में जो आनंद आता है, वो नहीं था। मुझे लग रहा था कि परिस्थितियां उतनी अच्छी नहीं हैं, इसलिए मैंने चौथे थ्रो के बाद रुकने का फैसला किया।”